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ऋषियों में एक ऋषि भृँगी थे। वो स्त्रियों को तुच्छ समझते थे और शिवजी को गुरुतुल्य मानते थे किन्तु मां पार्वती को वो अनदेखा करते थे। एक तरह से वो मां को भी आम स्त्रियों की तरह साधारण और तुच्छ ही समझते थे। महादेव भृँगी के इस स्वभाव से चिंतित और खिन्न थे। एक दिन शिवजी ने पार्वती माता से कहा- आज ज्ञान सभा में आप भी चले। Casino Game Rules, Congress on farmers protest : कांग्रेस ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी के बीज की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा कथित तौर पर बल प्रयोग किए जाने की निंदा करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि यह भाजपा के किसान विरोधी चेहरे का प्रतीक है और अब भाजपा सरकार का नारा पिटे किसान, जय धनवान है।
कमर्शियल फिल्मों में ढंग के रोल न मिलने पर डिम्पल ने समानांतर फिल्मों में कदम रखा। दृष्टि, लेकिन, रूदाली जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से उन्होंने सभी को दंग किया। 24 Casino Game Bet Big and Collect Rewards! get lucky at the online casino Virat Kohli: विराट का यहां अच्छा रिकॉर्ड नहीं रहा है। उन्होंने ओवल में तीन टेस्ट मैच खेले हैं और 28.16 की औसत से 169 रन बनाए हैं।
Man Vs Wild Show : डिस्कवरी चैनल का एडवेंचर शो मैन वर्सेस वाइल्ड दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर है। यह शो एक बार फिर अपने नए एपिसोड्स के साथ टीवी पर टेलीकास्ट होने वाला है। बेयर ग्रिल्स के साथ रजनीकांत, अक्षय कुमार, विक्की कौशल, रणवीर सिंह और पीएम मोदी जंगल की सैर कर चुके हैं। खबरों के अनुसार इस बार प्रियंका चोपड़ा और विराट कोहली जंगल में एडवेंचर करते नजर आने वाले हैं। smart live gaming casino, 6
Choose your Fortune at the Online Casino! Casino Game विशेषज्ञ मानते हैं बाघ-तेंदुए के शहरी आबादी की तरफ आने के कारणों को कुछ रिसर्च और भी पुख्ता करती है। दरअसल जंगल में शोर इतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है कि वन्यजीवों को बेहद परेशानी हो रही है। पिछले दिनों दिल्ली स्थित सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट के सर्वे में सामने आया था कि इंसानों की तेजी से बढ़ती आबादी जंगली जानवरों के लिए खतरा साबित हो रही है। इस सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि रोजाना जंगलों में 1.10 करोड़ लोग लकड़ी काटने या अन्य कार्यों से जाते हैं। करीब 7 से 8 करोड़ जानवर चरने के लिए जंगलों में जा रहे हैं। पिकनिक और जंगल सफारी के लिए में भी बड़ी संख्या में लोग जंगल में जा रहे हैं। जंगलों से सटी सड़कों और पगडंडियों पर चहलकदमी, दौड़ लगाने और एक्सरसाइज करने वालों की संख्या और उनका शोर वन्य जीवों के जीवन पर असर डाल रहा है। खासतौर से अतिक्रमण, शहरीकरण, तरह-तरह की परियोजनाओं का विकास, खनन गतिविधियां भी बाघों के जंगल से पलायन के कारण हैं। पारामारिबो। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घोषणा की है कि भारत ने सूरीनाम में मूल भारतीय प्रवासियों के 'ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया' (ओसीआई) कार्ड के लिए पात्रता मानदंड को 4थी से 6ठी पीढ़ी तक बढ़ाने का फैसला किया है, जो 150 साल पुराने द्विपक्षीय संबंधों में उनके महत्व को दर्शाता है। मुर्मू ने सोमवार को यहां इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। इससे पहले सूरीनाम के अपने समकक्ष चंद्रिका प्रसाद संतोखी के साथ वे सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक सांस्कृतिक समारोह की गवाह बनीं। विदेश में बसे और वहां की नागरिकता ले चुके भारतीय लोगों के लिए ओसीआई कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि 452 भारतीय मजदूरों को लेकर 5 जून, 1873 को पहला जहाज 'लल्ला रुख' सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो पहुंचा था। इनमें ज्यादातर मजदूर पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के रहने वाले थे। मुर्मू ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे इस मंच पर यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरी सरकार ने ओसीआई कार्ड के लिए पात्रता मानदंड को 4थी से 6ठी पीढ़ी तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि ओसीआई कार्ड को भारत के साथ उनके 150 साल पुराने संबंधों की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भारत के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने के प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। इससे पहले ओसीआई सुविधा भारत से सूरीनाम पहुंचे समुदाय के मूल पूर्वजों की केवल 4 पीढ़ियों तक के लिए ही थी। नतीजतन 5वीं और बाद की पीढ़ियों से संबंधित समुदाय के कई युवा सदस्य इस लाभ से वंचित थे। मुर्मू ने कहा कि हम सभी सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आज यहां एकत्र हुए हैं, जो सूरीनाम के इतिहास में मील का एक महत्वपूर्ण पत्थर है। इस अवसर पर मैं अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और उन लोगों को सलाम करती हूं जिन्होंने इस राष्ट्र के निर्माण में मदद की। उन्होंने कहा कि एक बहुसांस्कृतिक समाज और अवसरों की भूमि के रूप में सूरीनाम ने उन सभी विभिन्न समुदायों का स्वागत किया है, जो यहां आए और बस गए। उन्होंने कहा कि इन वर्षों के दौरान विविध समुदाय एक परिवार और एक देश के रूप में विकसित हुए। उन्होंने एकता और समावेशिता के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए सूरीनाम के लोगों की सराहना भी की। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विशाल भौगोलिक दूरियों, विभिन्न समय क्षेत्रों और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद भारतीय प्रवासी हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है और दोनों देशों के बीच बहुत सारी समानताएं भी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के समाज में बहुत आसानी से मिल-जुल सकते हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपने घर पर हूं। उन्होंने कहा कि पिछले 150 वर्षों में भारतीय समुदाय न केवल सूरीनाम में समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है, बल्कि यह भारत और सूरीनाम के बीच गहरी साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे समय में जब सूरीनाम अपने पूर्वजों की विरासत और भारत के साथ अपने संबंधों का जश्न मना रहा है, भारत एकजुटता और श्रद्धा के साथ सूरीनाम के साथ खड़ा है। सूरीनाम और भारत दोनों ने औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के बाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं और सामाजिक प्रणालियों के पुनर्निर्माण के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि इस अनुभव ने दोनों देशों के बीच एकजुटता की भावना पैदा की है। मुर्मू ने कहा कि भारत-सूरीनाम द्विपक्षीय संबंध विकास की साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारतीय समुदाय इस संबंध को मजबूत करना जारी रखेगा और आप में से प्रत्येक व्यक्ति दोनों देशों को जोड़ते हुए भारत और सूरीनाम के बीच एक पुल के रूप में काम करता रहेगा। इस अवसर पर मैं आप सभी को भारत आने, भारत की विकास यात्रा देखने और उसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करती हूं। इससे पहले सोमवार को राष्ट्रपति ने बाबा और माई स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बाबा और माई स्मारक सूरीनाम में पहली बार पैर रखने वाले पहले भारतीय पुरुष और महिला का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद उन्होंने मामा श्रनन स्मारक में सम्मान व्यक्त किया। इस स्मारक में एक महिला अपने 5 बच्चों को लिए हुए है। इस महिला को सूरीनाम की मां मामा श्रनन तथा पांचों बच्चों को सूरीनाम की 5 विशेषताओं का प्रतीक माना जाता है। मुर्मू ने सूरीनाम के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में आयोजित दोपहर के भोज में भी भाग लिया। इस दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने एक समावेशी विश्व व्यवस्था के लिए भारत के उस दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो हर देश और क्षेत्र के वैध हितों और चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। मुर्मू 3 दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को सूरीनाम पहुंचीं। पिछले साल जुलाई में पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली राजकीय यात्रा है।(भाषा) Edited by: Ravindra Gupta
Jagannath Rath Yatra 2023: भारत के ओड़िसा राज्य के पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का प्रतिवर्ष आयोजन होता है। प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा कब, क्यों, कहां और कैसे निकाली जाती है यह देखने के लिए देश विदेश से हजारों भक्त आते हैं। हर कोई इस रथ यात्रा में भाग लेता है। आओ जानते हैं इस यात्रा की 10 खास बातें। 1. जगन्नाथ की रथ यात्रा कब निकाली जाती है? हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 जून 2023 को यह रथ यात्रा निकलेगी। 2. क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ यात्रा? इस रथयात्रा का उद्देश्य यह है कि वे लोग, जो समूचे वर्षभर मंदिर में प्रवेश नहीं पा सकते हैं, उन्हें भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। राजा इन्द्रद्युम्न और उनकी पत्नी गुंडिचा देवी के काल में प्रभु जगन्नाथ की मूर्ति बनाने के लिए समुद्र से विशाल लाल वृक्ष का तना निकाला गया। विशालकाय तने को निकालकर उसे रथ के द्वारा उस स्थान पर लाया गया जहां पर श्री नीलमाधव की मूर्ति बनाई गई थी। मूर्तिकार की शर्त थी कि जब तक मूर्ति पूर्ण नहीं होती तब तक इसे कोई देखेगा नहीं अन्यथा मैं मूर्ति बनाना छोड़कर चला जाऊंगा। बनती हुए मूर्ति को रानी गुंडिचा द्वारा देखने के कारण मूर्ति अधूरी रह गई थी जिसके चलते रानी गुंडिचा नगर के बाहर गुफा में तपस्या करने चली गई। तप से प्रभावित होकर प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ रानी गुंडिजा के मंदिर में रथ पर सवार होकर जाते हैं और वहां पर 10 दिनों तक विश्राम करके लौट आते हैं। 3. कैसे होता है रथों का निर्माण? 777 Online Casino Games, इस मामले में कांग्रेस ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में कहा था, कि सूरजमुखी के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य का इंतजार कर रहे हैं और निजी व्यापारियों को अपनी उपज बेचकर किसानों को 1,500 से 2,500 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। Edited by : Nrapendra Gupta
Shama Sikander Photos: बॉलीवुड एक्ट्रेस शमा सिकंदर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। वह अपने हॉट एंड सिजलिंग फोटो से इंटरनेट पर अक्सर तहलका मचा देती हैं। शमा सिकंदर, जो अपने आकर्षक अभिनय के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने एक बार फिर मीडिया और अपने प्रशंसकों का ध्यान खींचा है। इस बार शमा सिकंदर की सिर्फ एक्टिंग स्किल्स ही नहीं बल्कि उनका बेदाग फैशन सेंस भी सुर्खियां बटोर रहा है। हाल ही में, शमा सिकंदर ने एक शानदार ब्लैक एंड व्हाइट ड्रेस में अपनी फोटो पोस्ट की, जो उनके आत्मविश्वास और लालित्य को दर्शाती है। शमा सिकंदर के ड्रेसिंग सेंस में कोई कमी नहीं थी। वह उस ड्रेस में शानदार लग रही थीं, जो उनके फिगर को बेहद सुंदरता से परिलक्षित कर रही थी। ड्रेस पर ध्यान रखते हुए शमा सिकंदर ने न्यूनतम एक्सेसरीज और स्टाइलिंग का चुनाव किया। उन्होंने अपने लुक को खूबसूरत ब्लैक हील्स के साथ कम्प्लीट किया, जो ड्रेस को पूरी तरह से मेल खा रहा था। उनके बाल लूज वेव्स में सजाए गए थे, जो उनके कंधों पर सहजता से ढल रहे थे। कम से कम मेकअप उनके फीचर्स के अनुकूल था, जिससे उसकी प्राकृतिक सुंदरता निखर उठती थी। शमा सिकंदर के अपीयरेंस को जो चीज अलग करती है वो सिर्फ उनका ड्रेसिंग सेंस नहीं है बल्कि जिस तरह से बेहद शालीनता के साथ वो इसे अपनाती हैं वह भी है। उनका कैप्शन, 'सेक्सी, शरीर के विषय में नहीं बल्कि आत्मविश्वास वाली महिला के विषय में है... जो दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें अपनी विशिष्टता को अपनाने और अपनी त्वचा में आत्मविश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।' Play Casino Games For Bitcoins रथयात्रा के दिन तीनो रथों मुख्य मंदिर के सामने क्रमशः खड़ा किया जाता है। जिसमें सबसे आगे बलरामजी का रथ तालध्वज बीच में सुभद्राजी का रथ दर्पदलना और तीसरे स्थान पर भगवान जगन्नाथ का रथ नन्दीघोष होता है। पोहंडी बिजे से होगी रथयात्रा की शुरूआत- रथयात्रा के दिन प्रात:काल सर्वप्रथम पोहंडी बिजे होती है। भगवान को रथ पर विराजमान करने की क्रिया पोहंडी बिजे कहलाती है। फिर पुरी राजघराने वंशज सोने की झाडू से रथों व उनके मार्ग को बुहारते हैं जिसे छेरा पोहरा कहा जाता है। छेरा पोहरा के बाद रथयात्रा प्रारंभ होती है। रथों को श्रद्धालु अपने हाथों से खींचते हैं जिसे रथटण कहा जाता है। सायंकाल रथयात्रा श्रीगुण्डीचा मंदिर पहुंचती है।